ध्यान करने का कमरा बिल्कुल अलग रहना चाहिए और उसमें ध्यान करने के समय के अतिरिक्त पूरे समय ताला पडा रहे । उस कमरे में कोई भी नहीं जाना चाहिए । प्रातःकाल और संध्या को उसमें धूप जला दो । उसमें श्री कृष्ण जी की एक मूर्ति या अपने देवता की तस्वीर रखो । तस्वीर के सामने आप आसन बिछा दो । जब तुम उस कमरें में बैठ कर मन्त्र का जप करोगे, तो जो शक्तिशाली स्पन्दन उससे उठेंगे, वे कमरे के वातावरण में ओतप्रोत हो जायेंगे । छ: महीने के अन्दर तुम उस कमरें में शन्ति तथा पवित्रता का अनुभव करोगे । कमरे में एक विशेष प्रकार का सौंदर्य और चमक प्रतीत होंगे । तुम वास्तव में ही इस प्रकार का अनुभव करोगे । यदि तुम श्रद्धा ओर सत्य-भावनासहित जप करते हो ।
जब कभी भी तुम्हारा अंतःकरण सांसारिक कष्टों से उद्विग्न हो जाय तो उस कमरे में जाकर कम से कम आधा घंटा भगवान का जप करो । बस तुरन्त ही तुम्हारे मस्तिष्क में एक अनोखा परिवर्तन हो जाएगा । इसका अभ्यास करो । बस तुम्हे स्वयं ही शान्तिप्रद आध्यात्मिक प्रभाव का अनुभव होगा । आध्यात्मिक साधना की भांति संसार में कोई महान वस्तु नहीं है । साधना के परिणामस्वरूप मसूरी पहाड़ का आनन्द तुम्हे ध्यान के इस कमरें में ही प्रतीत होगा ।
हृदय में श्रद्धा रख कर ईश्वर के नामों का जप करो । तुम तुरन्त ही ईश्वर की सन्निधि का अनुभव करने लगोगे । इस कराल कलिकाल में ईश्वर प्राप्ति का यह सबसे सुगम मार्ग है । साधना में नियम होना चाहिए । तुम्हें उसका बड़ा पाबंद होना चाहिए । ईश्वर किसी भी प्रकार की अमूल्य भेंट नहीं चाहता । बहुत् से लोग अस्पताल खुलवाने में और धर्मशालाए आदि बनवाने में सहस्त्रो रुपए व्यय कर देते है । पर वे ह्रदय से ईश्वर का स्मरण नहीं करते । भक्त के अंतःकरण में सर्वव्यापी राम की भावना रहनी चाहिए, यदि वह स्थूल जगत में उनकी बिभुता का अनुभव करना चाहे तो । ॐ की भांति राम भी सर्व – व्यापकता का अभिवाचक है । ईश्वर को ध्यान द्वारा जाना जा सकता है । उसका हम केवल अनुभव कर सकते हैं । उसको हम जप द्वारा प्राप्त कर सकते हैं ।